Sunday, May 17, 2015

बहुत बड़ी ख़ुशी

मेरी बेटी , एक छोटी सी मैना ,
इस डाल से उस डाल पर ,
फुदकती हुई ,  कैसे बड़ी हुई पता ही नहीं चला। 
दुनिया के झंझावातों से गुजरती हुई ,
दुनिया को जानती हुई  ,पहचानती हुई ,
कैसे बड़ी हुई, पता ही नहीं चला।  
छोटी सी , नन्ही सी, मेरी गोदी में ,
इठलाती हुई , बलखाती हुई ,
कैसे बड़ी हुई, पता ही नहीं चला।  
मुझे प्यार से छूती हुई , सहलाती हुई ,
मेरे जख्मों पर मरहम लगाती हुई ,
कैसे बड़ी हुई, पता ही नहीं चला।  
फूल सी कोमल, सबका दुःख-सुख बांटती हुई ,
सबको हंसती हंसाती हुई, कैसे बड़ी हुई, 
पता ही नहीं चला। 
जब भी मैं खड़ी हुई , जीवन के दो मुहाने पर ,
मुझको ढांढस बंधाती , कुछ समझती और कुछ समझाती हुई,
कैसे बड़ी हुई, मुझे पता ही नहीं चला। 
मेरी बेटी है मेरी प्यारी सी हंसी ,
मेरी प्यारी सी दुनिया 
एक नन्ही सी छुअन और एक बहुत बड़ी ख़ुशी। 

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