वक्त के साथ ही , नज़ारे बदल जाते हैं ।
आँखों ही आँखों के , इशारे बदल जाते है ।
देता नहीं कोई साथ , इस जहाँ से उस जहाँ तक ।
जहाँ के बदलते ही , सहारे बदल जाते हैं ।
सुख के मीत बहुँत मिलेंगे , दुःख का साथी कोई नहीं ।
सुख दुःख के बदलते ही , मीत सारे बदल जाते हैं ।
वक्त ये रंग लाता नहीं , तो बदलाव जीवन में आता नहीं ।
मौसम के बदलते ही , गीत सारे बदल जाते हैं ।
हर लम्हा जीवन में , व्यक्ति वही होता है ।
उम्र के साथ ही , रूप-रंग सारे बदल जाते हैं ।
गर्मी और बरसात में , कितना अंतर होता है ।
आसमाँ के भी चाँद सितारे बदल जाते हैं ।
सीता और राम के किस्से , सुनाती है ये दुनिया ।
रामायण के बंद होते ही , किस्से सारे बदल जाते हैं ।
गीता के उपदेस हमें , ता उम्र सुनाये जाते हैं ।
युद्ध क्षेत्र में आते ही , प्रयोग सारे बदल जाते हैं ।
अर्जुन वही श्री कृष्ण वही , वही धनुष और तीर ।
वक्त के बदलते ही , धनुष के कारनामें बदल जाते हैं ।
वक्त न जानें हमें , कहाँ-कहाँ भटकाता है ।
वक्त के बदलते ही , सफ़रनामें बदल जाते है ।
वक्त ने ही ध्रुव और प्रह्लाद को भी कष्ट दिए ।
वक्त के साथ ही , सिंहासन सारे बदल जाते हैं ।
वक्त ने ही हरिश्चन्द्र को , काँटों भरी सेज दी ।
वक्त के बदलते ही , सेज सारे बदल जाते हैं ।
सब कुछ इस जहाँन में , विचारों का ही खेल है।
विचारों के बदलते ही , लक्षण सारे बदल जाते हैं।
धीरज रखिये, धीरज रखिये, कह गए हैं संत सभी।
धीरज मात्र रखने से ही , क्षण सारे बदल जाते हैं।
वक्त ने ही दिया हमें , श्रीराम और श्रीकृष्ण।
वक्त के साथ ही , युग सारे बदल जाते हैं।
जो वक्त के साथ नहीं चलता , वह करता है भूल बड़ी।
वक्त के साथ चलते ही , वक्त के धारे बदल जाते हैं।